आखिर क्यों किया अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा ने प्रशासनिक बैठक के वहिष्कार का एलान
देवघर : आगामी 1 मार्च को लगने वाली महाशिवरात्रि व श्रावणी मेला 2022 को लेकर मंगलवार 8 फरवरी को जिला प्रशासन द्वारा आहूत बैठक का ‘ अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा’ ने बहिष्कार करने का एलान किया है। इस संदर्भ में सोमवार को महासभा के राष्ट्रीय संरक्षक दुर्लभ मिश्र ने प्रेस कॉन्फ्फ्रेंस कर इसकी जानकारी दी। श्री मिश्र ने जिला प्रशासन द्वारा आयोजित बैठक पर आपत्ति व्यक्त करते हुए कहा कि महाशिवरात्रि का मेला सिर्फ एक दिन के लिए होता है,जबकि श्रावणी मेला पूरे 30 दिनों के लिए होता है। बावजूद जिले के उपायुक्त दोनों मेले को एक ही बिंदु में रखकर बैठक करने जा रहे हैं,जिसका कोई औचित्य नही हैं। इतना ही नहीं श्री मिश्र ने गत वर्ष 2021 की बैठक का हवाला देते हुए कहा कि महाशिवरात्रि मेले में उमड़ने वाली भारी भीड़ को देखते हुए हमने शीघ्र दर्शनम कूपन प्राप्त करने के छह काउंटर लगाए जाने की सलाह दी थी। बावजूद मेले के दौरान महज दो काउंटर ही खोले गए। परिणाम स्वरूप भारी अव्यवस्था हो गई,जहां तहां कूपन बेचे जाने लगे,वो भी बगैर बार कोड के। श्री मिश्र ने आपत्ति जाहिर करते हुए कहा की बैठक में लिए गए निर्णय को क्यों नही लागू किया गया। इसके लिए जिम्मेवार कौन हैं? साथ ही श्री मिश्र ने वीआएपी की मापदंड निर्धारित करने की मांग करते हुए कहा कि आखिर वीआईपी हैं कौन ? उपायुक्त बताएं वर्ष 2002 में रांची हाई कोर्ट या कुम्भ के संदर्भ में इलाहाबाद हाई कोर्ट या 1956 में सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दिये गए निर्देश में से उन्होंने किसे आधार बनाया है। मौके पर मौजूद महासभा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विनोद दत्त द्वारी ने भी बैठक को लेकर उपायुक्त से एक सिष्टम बनाने की मांग की। कहा कि महज औपचारिकता के लिए बैठक बुलाना कहीं से भी न्याय संगत नहीं है। बैठक में सर्व सम्मति से लिये गए निर्णय को अवश्य लागू किया जाना चाहिये। अन्यथा महासभा ऐसे किसी भी बैठक में भाग नही लेने का निर्णय लिया है। इस अवसर पर अखिल भारतीय तीर्थ पुरोहित महासभा के वरीय सदस्य खीरा श्रृंगारी व पन्नालाल मिश्र भी उपस्थित थे