दशहरा
आज श्रीराम का चित्त अधीर है,है व्यथित, है व्याकुल..!सोच रहे…रावण को तोमैंने मोक्ष दे दिया था,फिर मेरी मर्यादाओं कोधूल में
Read moreआज अचानकबापू के तीन बंदर दिख गएमैंने उन्हें गांधी जयंती की बधाई दीऔर उन्होंने मुझे “स्वच्छ भारत” की।फिर वे नाचने
Read moreअपनी ख़ुमारी में तुम आजहमें दाता से याचकऔर खुद कोयाचक से दाता ही नहीं,भाग्यविधाता बनाने की सोच रहे हो! तुम्हारे
Read moreकुछ लोगों की सच्चाईलोगों को कड़वी लगती हैइसलिये उनके पीछे अक्सर…भीड़ नहीं चलतीपर जो धुंधले आयने दिखाकेकोहरे की बात करते
Read moreमौन’ जैसे..गहरे अर्थ लिए हुएएक विशाल पर्वतऔर हिंदीउससे प्रतिस्फुटितठंडे जल की सबसे मीठी धारा..!जो मन की प्यास बुझाती है..एक माँ
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