उनकी यादें सताने लगे फागुन में
उनकी यादें सताने लगे फागुन में । कोयलिया कुकी डारी पेलगा मुझे तुम बुला रही होबंसी की माधुरी सुरों में
Read moreउनकी यादें सताने लगे फागुन में । कोयलिया कुकी डारी पेलगा मुझे तुम बुला रही होबंसी की माधुरी सुरों में
Read moreहोली कविता शीर्षक :आज के कबीर और फाग मेंफाग की मस्ती में धुत्तमेरा फागुनी मनकहीं बहक गया।न जाने येकब और
Read moreसंसदअंधेरी गुफा बन गई हैजहाँ सेरोटी के लिए लगने वाली आवाज़,उसकी दीवार से टकरा कर वापस लौट आती है।सोचता हूँवो
Read moreदिन ढला , शाम ढलीहर तरफ चिराग जलेचले भी आओ सनमदिल जले , दिमाग जले।। जिगर के खून से जिसेवर्षों
Read moreमेरी आत्मा!धिक्कारती है मुझे।कहती है, क्यों सींचता है तूइस जमीन को।इससे तुझे कुछ नहीं मिलेगा।क्योंकि, यहां मात्रपत्थरों का ढ़ेर है।प्रत्युत्तर
Read moreयौवन की रोशनी मेंतेरे मन का दर्पणविश्वास जताया हैमेरे एहसास पर।अगर सजा दे, अपने रंगों कोमेरे भावनाओं की तुलिकातेरे चेहरे
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